#71/365 Saree #32 in 2021
When I want to loose myself , Jagjit Singh comes to rescue.
Listen to this ..
सुनते हैं के मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
इक रोज़ तुम्हें माँग के देखेंगे ख़ुदा से
दुनिया भी मिली है ग़म-ए-दुनिया भी मिला है
वो क्यूँ नहीं मिलता जिसे माँगा था ख़ुदा से
ऐ दिल तू उन्हें देख के कुछ ऐसे तड़पना
आ जाये हँसी उनको जो बैठे हैं ख़फ़ा से
जब कुछ ना मिला हाथ दुआओं को उठा कर
फिर हाथ उठाने ही पड़े हमको दुआ से
आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं
मर जाए की जी जाए कोई उनकी बला से
तुम सामने बैठे हो तो है कैफ़ की बारिश
वो दिन भी थे जब आग बरसती थी घटा से
-राणा अकबराबादी
A beautiful Bengal silk ( Geecha palla and murshidabad silk I think)
A darling middle school friend who is my designated shopper in Calcutta Soma Roy
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